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नीतीश के बाद शरद भी जातिगत जनगणना के पक्ष में, बोले – ओबीसी आबादी जानना जरूरी

एसपीएन डेस्क : नीतीश कुमार के बाद महाराष्ट्र में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने भी जातीय जनगणना का मुद्दा उठाते हुए बड़ा बयान दिया है. शरद पवार ने कहा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जाति आधारित जनगणना की बात उठाई है, लेकिन केंद्र की मानसिकता अलग है. ओबीसी प्रकोष्ठ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, कोई भी मुफ्त में कुछ नहीं मांग रहा है, लेकिन हर किसी को वह मिलना चाहिए जो उनके लिए सही है. ‘जाति-आधारित’ जनगणना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

सामाजिक समानता होगी सुनिश्चित

पवार की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब राज्य ओबीसी कोटा बहाल करने की मांग के बीच स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी कर रहा है. उन्होंने विभिन्न समूहों के लिए कोटा निर्धारित करने और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए ‘जाति आधारित’ राष्ट्रीय जनगणना की मांग की है. शरद पवार ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को संविधान द्वारा उन्हें दिए गए आरक्षण का लाभ मिला है. इसी तरह की रियायतें अन्य पिछड़ा वर्ग  को भी दी जानी चाहिए. एनसीपी सुप्रीमो कहा, इस तरह के आरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार को सटीक ओबीसी आबादी का पता लगाना चाहिए जिसे ‘जाति-आधारित’ जनगणना द्वारा जाना जा सकता है.

भाजपा से ओबीसी को उम्मीद नहीं

इन आंकड़ों के आधार पर समुदाय के साथ न्याय किया जा सकता है. भाजपा की आलोचना करते हुए पवार ने कहा, वे महाराष्ट्र में पांच साल से सत्ता में थे और 2014 से दिल्ली में शासन कर रहे थे, क्या आप अब तक सो रहे थे?  भाजपा के लोग चाहे कुछ भी कहें, ओबीसी को उनसे न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जाति आधारित जनगणना की बात उठाई है, लेकिन केंद्र की मानसिकता अलग है. पवार ने दोहराया कि एमवीए, जिसमें शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस शामिल है, आगामी निकाय चुनाव तभी कराएगी जब ओबीसी आरक्षण का मुद्दा यह सुनिश्चित करने के लिए हल हो जाएगा कि उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका हिस्सा मिले.

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