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अब नहीं चलेगी नीतीश की मनमानी, कॉमन मिनिमम एजेंडे के तहत अब करना होगा होगा काम

कॉमन मिनिमम एजेंडे  के तहत सभी चारों घटक दलों के घोषणापत्र में किए गए वादों को शामिल किया जाएगा और विकास कार्य को जोर शोर से शुरू किया जाएगा.

पटना, एसपीएन। नई सरकार बनने के बाद एनडीए के सबसे बड़े घटक दल ने भाजपा यह साफ संकेत दे दिया कि मुखिया भले ही नीतीश कुमार हों, लेकिन काम कॉमन मिनिमम एजेंडे के तहत करना होगा. एनडीए में जनता दल यूनाइटेड की ताकत से सरकार में कम और बीजेपी का कद बढ़ा हुआ है और यही वजह है कि अब सरकार केवल नीतीश कुमार के एजेंडे पर नहीं चलने जा रही है.

जनता से किए वादे एजेंडे में होंगे शामिल

एनडीए के सभी घटक दलों को मिलाकर एक कॉमन मिनिमम प्रोगाम बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके तहत बीजेपी, जेडीयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और वीआईपी के शीर्ष नेतृत्व आपस में बैठकर कॉमन मिनिमम प्रोगाम पर चर्चा करेंगे. माना जा रहा है की अगले 5 साल में विकास के उन सभी कामों की प्रमुखता दी जाएगी जो एनडीए के घटक दलों ने जनता से वादा किया है.

कैबिनेट विस्तार को लेकर बनी रणनीति

सरकार में होने वाले नए कैबिनेट विस्तार को लेकर के भी आपस में बैठकर तय करने की रणनीति बनी है. एनडीए के चारों घटक दल आपस में मिलकर नए कैबिनेट विस्तार में मंत्रिमंडल का बंटवारा करेंगे ताकि साथियों के बीच आपसी तालमेल बना रहे और विकास के कारण ज्यादा से ज्यादा हो सके. इसके तहत सभी चारों घटक दलों के घोषणापत्र को किए गए वादों को शामिल किया जाएगा और विकास कार्य को जोर शोर से शुरू किया जाएगा.

सात निश्चय 2 पर मजबूती को मिलेगी प्रमुखता

कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के संभावित एजेंडों में सात निश्चय 2 पर मजबूती से काम करने के अलावा हर खेत तक पानी पहुचाना, हर जिले में मेगा स्किल सेंटर खोलना, युवाओ को रोजगार के लिए नई तकनीकी शिक्षा देना, इंटर पास करने पर महिलाओं को 25 हजार, स्नातक पास करने पर सभी महिलाओं को 50 हजार की सहायता जैसे मुद्दे शामिल हैं.

बीजेपी के एजेंडे में होगा आत्म निर्भर भारत

बीजेपी के आत्मनिर्भर बिहार के अलावा सभी गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाना, बेघर और भूमिहीन लोगों के लिए बहुमंजिला इमारत बनाना, सभी जिलों में वृद्धाश्रम की व्यवस्था, यातायात की सुविधा के लिए सभी शहरों में बाईपास बनाना, हर गांव तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुचाना, कोरोना वैक्सीन का निशुल्क टीका, मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य तकनीकी शिक्षा को हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराना जैसे मुद्दों समेत एक साल में पूरे प्रदेश में तीन लाख नए शिक्षकों की भर्ती करना प्रमुख एजेंडा होगा.

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