नहीं हटाया जाएगा कृषि कानून, सरकार सुझाव पर विचार करने के लिए तैयार : गिरिराज सिंह
एसपीएन, भागलपुर। जिन लोगों की राजनीति जमीन खिसक चुकी है वे लोग काल्पनिक झूठ की खेती कर किसानों के बीच जमीन छीने जाने का भ्रम फैला रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कृषि सुधारों को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार किसानों के वे संपर्क कर रहे हैं और इसी सिलसिले में आज भागलपुर आए थे. कहलगांव में किसान सम्मेलन में शामिल होने के पहले केंद्रीय पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कृषि कानून को नहीं हटाया जाएगा, सरकार सुझाव पर विचार करने के लिए तैयार है.
सरकार की नीयत और नीति किसान के लिए प्रतिबद्ध
जो सरकार गांव में रहने वाले हर परिवार को स्वामित्व योजना के जरिए उसके घर का भी मालिकाना हक प्रदान कर रही है वह भला किसानों की एक इंच भी जमीन कैसे छीनने नहीं देगी. हमारी सरकार नीयत और नीति दोनों से किसान के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि आंदोलन में पंजाब के किसान भी हैं, जहां पेप्सी हजारों एकड़ में कॉन्ट्रेक्ट की खेती करा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री इसकी चर्चा नहीं करते बल्कि अन्य राज्य के किसानों को पूंजीपतियों का भय दिखा कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं.
सरकार को अस्थिर करने की कर रहे साजिश
उन्होंने कहा कि जिस आंदोलन में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे, कनाडा की सरकार शामिल हो, सर्जिल इमाम और उमर खालिद की चर्चा हो, उस आंदोलन की मंशा को समझा जा सकता है. उनकी साजिश है सरकार को अस्थिर करने की, किसान इस बात को भलिभ्संति समझ रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2013-14 में एमएसपी रेट 1400 रुपये था, अभी 1975 रुपये है. धान, गेंहू, सरसो के रेट में भी बढ़ोतरी की गई है.
किसानों को हेल्थ कार्ड दिए गए. सरकार का लक्ष्य है किसानों की आमदनी को दोगुना करना. कृषि कानून लागू होने से बिचौलियों सहित विरोधी पार्टियों की आमदनी मारी जाएगी, साथ ही उनके पास अब कोई मुद्दा नही बचा है, इसीलिए किसानों को बरगला रहे हैं.
कृषि सुधार कानून का किसान कर रहे समर्थन
कई किसान संगठन ने इन कृषि सुधार कानून का स्वागत किया है और वे इससे खुश हैं. नये कृषि कानून से किसानों में एक नई उम्मीद जगी है. देश के अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों ने इस नए कानून का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है. लेकिन कुछ स्वार्थी तत्व किसान संगठनों में इस कानून को लेकर भ्रम पैदा कर रहे हैं, जिसे दूर किया जाएगा.
सरकार और किसानों के बीच जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है उसका भी पर्दाफाश जल्द होगा. विपक्षियों द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है कि एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है, एपीएमसी की मंडियां बंद की जा रही है.
कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की दे रखी है मंजूरी
भ्रम यह फैलाया जा रहा कि बकाए के बदले कांट्रैक्टर्स किसानों की जमीन जमीन हथिया लेंगे, जबकि कानून में इसका कहीं जिक्र नहीं है. एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा ना कि जमीन के लिए. सेल, लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा.
किसानों की जमीन सुरक्षित है. फार्मिंग एग्रीमेंट में कृषि उपज का खरीद मूल्य दर्ज किया जाएगा. किसानों का भुगतान तय समय सीमा के भीतर करना होगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी और जुर्माना लगेगा. किसान किसी भी समय बगैर किसी जुर्माना के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर सकते हैं. कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की मंजूरी दे रखी है कई राज्यों में तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग संबंधित कानून तक है.
कृषि मंडियों को और आधुनिक बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा किसान भाइयों को आश्वस्त करता हुूं कि एपीएमसी को और अधिक मजबूत किया जा रहा है. इसके साथ साथ खुला बाजार आपको अपने घर पर ही अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचने का विकल्प भी देगा. साथ में खेत से मंडी तक अनाज ले जाने का भाड़ा भी बचाएगा. इसके अलावा किसानों के पास मंडी का विकल्प भी है. कृषि मंडी पहले की तरह काम करते रहेगी बीते 5 वर्षों में कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं. इन्हें आने वाले समय में और आधुनिक बनाया जाएगा.