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आपातकाल की बरसी पर बरसे पीएम बोले कांग्रेस ने कुचल दिया था लोकतांत्रिक लोकाचार

एसपीएन, नई दिल्ली: देश में आपातकाल लागू होने की 46वीं बरसी पर प्रधान मंत्री समेत भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कांग्रेस सरकार द्वारा इमरजेंसी के दौरान की कार्रवाईयों का लिंक साझा करते हुए ट्वीट किया, कांग्रेस ने हमारे लोकतांत्रिक लोकाचार को कुचल दिया. हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की. पीएम ने लिखा “आपातकाल के काले दिनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है,लेकिन भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हम हर संभव प्रयास करे.

सत्ता के लिए कांग्रेस ने की लोकतंत्र की हत्या

गृह मंत्री अमित शाह सहित के भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने 1975 में इसी दिन सत्ता की हवस और अहंकार के लिए लोकतंत्र की “हत्या” की थी. उन्होंने इसे भारत के लोकतंत्र में एक काला अध्याय बताते हुए कहा कि एक परिवार के खिलाफ उठाई गई आवाजों को कुचलने के लिए आपातकाल लगाया गया था. भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने कई अत्याचारों को झेलते हुए आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. बता दें कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 से 1977 तक 21 महीने की अवधि के लिए आपातकाल लगाया गया था, उस दौरान लोगों के मौलिक अधिकारों पर भी अंकुश लगाया गया था.

देश की सियासत का काला अध्याय

वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ने ट्वीट कर बताया, “देश की लोकतांत्रिक प्रथाओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस प्रकार संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता. आज भी वह समय हम सभी की यादों में ताजा है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश में आंदोलन भी हुए और लोगों ने न जाने कितनी यातनायें सहीं. उनके त्याग, साहस तथा संघर्ष को हम आज भी याद करते हैं तथा प्रेरणा प्राप्त करते हैं. लोकतंत्र की रक्षा में जिन व्यक्तियों का भी किरदार रहा है, मैं उन सभी को नमन एवम अभिनंदन करता हूं. आज ही के दिन भारत के इतिहास में 25 जून 1975 में पुरे भारत में आपातकाल लगाने का ऐलान किया गया था, जिसे देश की सियासत का काला अध्याय कहा जाता है.

25 जून 1975 को राष्ट्रपति ने दिया था आदेश

मालूम हो कि 25 जून 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने पुरे भारत में आपातकाल लगाने का आदेश तात्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की सिफारिश पर दिया था. इस आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की ओर से ये दलीलें दी गई थीं कि आपातकाल लगाना आवश्यक है, मगर पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी. भारतीय सियासत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय रहा, क्योंकि इस के चलते नागरिक अधिकारों को समाप्त करते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को जेल में डाल दिया गया था. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद तथा अलोकतांत्रिक काल था, क्योंकि इस के चलते चुनाव स्थगित कर दिए गए थे तथा लोगों के अधिकारों पर पाबंदी लगा दी गई थी.

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