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उम्मीदवारी को लेकर जदयू के साथ भाजपा में भी संशय, गठबंधन के भविष्य पर उठे सवाल

पटना, एसपीएन : राज्य सभा चुनाव को लेकर बिहार में न सिर्फ जेडीयू बल्कि बीजेपी के अंदरखाने हलचल तेज है. भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इस बार यह पूरा मसला जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री बने आरसीपी सिंह की राज्यसभा में वापसी के सवाल के साथ शुरू हुआ और अभी तक इस विवाद का कोई समाधान निकल भी नहीं पाया था कि जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम ने भाजपा के सामने एक और परेशानी खड़ी कर दी है.

2025 तक नीतीश कुमार ही रहेंगे मुख्यमंत्री

तो क्या नीतीश कुमार पहले की तरह, इस बार भी पाला बदलने का मन बना चुके हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा-जेडीयू गठबंधन मजबूत है और इसे मजबूत बनाए रखने के लिए ही ज्यादा विधायक होने के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां तक भाजपा का सवाल है, नीतीश कुमार 2025 तक गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री बने रहेंगे. वहीं जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री आरसीपी सिंह का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने जा रहा है. मंत्री बने रहने के लिए उनका सांसद बने रहना जरूरी है विधायकों की संख्या के आधार पर जेडीयू सिर्फ एक उम्मीदवार को ही जीता सकती है लेकिन उस सीट को लेकर भी कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.

आरसीपी को मंत्रिमंडल से देना पड़ेगा इस्तीफा

बताया जा रहा है कि कई मुद्दों पर भाजपा का साथ देने के कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं और इस बार उनका राज्यसभा का टिकट कट सकता है. ऐसे में भाजपा ने उनकी मदद नहीं की तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ सकता है. उन्हें इस बात का अहसास है कि अगर आरसीपी सिंह को मोदी मंत्रिमंडल से जाना पड़ा तो जेडीयू को अपने कोटे से किसी अन्य नेता को मोदी कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर पार्टी में उपाहोह की स्थिति बनी हुई है. पार्टी के नेता और पदाधिकारी इस मामले में पिछले कुछ दिनों से बचते नजर आ रहे हैं. हालांकि, तमाम नेता और मंत्री एक सुर में यह जरूर कहते नजर आ रहे हैं कि जदयू में सब ठीक है.

उम्मीदवार को लेकर बीजेपी में भी संशय

राज्य सभा उम्मीदवार को लेकर वही हाल सहयोगी बीजेपी की भी है. भाजपा के लिए भी उम्मीदवार चयन आसान नहीं दिख रहा है. दल के अंदर इस बात की चर्चा है कि इस बार गोपाल नारायण सिंह को इस बार मौका नहीं मिलने वाला है. 2020 में वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट सहयोगी दल जेडीयू के खाते में जाने के बाद टिकट से वंचित हुए सीटिंग सांसद सतीश चंद्र दूबे को बदले में राज्यसभा भेजा गया था. इनके रास का कार्यकाल करीब 2.5 वर्षों का ही रहा. नेतृत्व इन्हें दूबारा राज्यसभा भेजेगी इसकी संभावना बनती दिख रही है. खबर है कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल भी इनके समर्थन में हैं. वैसे भी सतीश चंद्र दूबे व संजय जायसवाल एक ही जिले के हैं. अब देखना यह है कि भाजपा और जदयू किसी नये चेहरे पर दांव लगाती है या पुराने को एक बार फिर मौका देती है.

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