महागठबंधन में ऑल इज वेल या होगा खेल
एसपीएन, पटना : विधान परिषद चुनाव में राजद की ओर से उम्मीदवारों की एकतरफा घोषणा से वाम दलों के नेता भड़क गए और भाकपा माले ने पत्र लिख कर राजद के निर्णय का विरोध किया है. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को लिखे पत्र में माले ने कहा है कि यह स्वीकार करने लायक निर्णय नहीं है. राजद अपने निर्णय पर फिर से विचार करे.
एक सीट जीतने के लिए 31 विधायकों का वोट चाहिए
21 जुलाई को विधान परिषद की सात सीटें रिक्त हो रही हैं. चुनाव में एक सीट जीतने के लिए 31 विधायकों का वोट चाहिए. राजद को तीन उम्मीदवारों की जीत के लिए 93 विधायकों का वोट चाहिए, जबकि उसके अपने विधायकों की संख्या 76 है. उसे वाम दलों के 15 विधायकों का वोट मिले, तभी जीत हो सकती है. माले का तर्क है हम पहली बार विधान परिषद का चुनाव लडऩे जा रहे हैं. अब तक हमारे विधायक कांग्रेस, राजद और भाकपा को राज्यसभा चुनाव में वोट देते रहे हैं, इसलिए राजद हमें वोट दे.
वाम दल को कांग्रेस का मिल सकता है साथ
उधर कांग्रेस ने भी संकेत दिया है कि अगर भाकपा माले सहमत हो तो बिहार विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम दल एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव महागठबंधन के पांच दल राजद ,कांग्रेस, माकपा और भाकपा तथा माले एक साथ लड़े थे लेकिन तारापुर और कुशेश्वर विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने महागठबंधन से अलग राह पकड़ ली थी. वामदलों ने उपचुनाव में राजद का साथ दिया लेकिन विधान परिषद चुनाव में राजद की ओर से उम्मीदवारों के एकतरफा ऐलान के बाद वाम दल के नेता नाराज हो गए हैं.
महागठबंधन में हो सकता है कोई उलटफेर
माले का मानना है कि राजद दो उम्मीदवार खड़ा करे और अपना बचा हुआ 14 वोट माले को दे. माले के 12 और भाकपा-माकपा के दो-दो विधायक हैं. इधर कांग्रेस के नेताओं की मानें तो विधान परिषद, राज्यसभा चुनाव में वाम दलों के साथ कांग्रेसी नेताओं को कोई परहेज नही है, ऐसे में देखना है कि क्या बिहार विधान परिषद चुनाव के पहले महागठबंधन में कोई उलटफेर दिखता है या फिर बाजी राजद के पाले में ही जाती है. कांग्रेस ने भी संकेत दिया है कि अगर वाम दल सहमत हों तो विधान परिषद और राज्यसभा चुनावों में हम एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं.