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राजद के एमपी, एमएलसी समेत चिराग के चहेते पर भी जांच एजेंसियां का छापा

एसपीएन, पटना : बिहार में बहुमत परीक्षण से ऐन पहले एक बार फिर केंद्रीय जांच एजेसिंयों ने दस्तक दी है. निशाने पर राजद के सांसद, एमएलसी और कुछ कद्दावर नेता भी रहे. जांच एजेंसियों की रडार पर भागलपुर के लोजपा नेता और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा भी आ गए. बुधवार की सुवह सुवह पहले आरजेडी के कोषाध्यक्ष, एमएलसी और विस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह के दरवाजे पर सीबीआई की टीम ने दस्तक दी. वहीं दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय की टीम राजद के सांसद अशफाक फैयाद अहमद और पूर्व विधायक अबू दुजाना के ठिकानों पर पहुंची. अलग अलग मामलों में केंद्रीय एजेसिंयों को इनकी तलाश है.

लालू परिवार के करीबी हैं सुनील

सूत्रों की मानें तो सुनील सिंह पर प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई जमीन के बदले नौकरी घोटाले में की गई है. टीम ने सुनील सिंह के पटना स्थित आवास ऑफिस के साथ ही उनके सारण जिले के अंतर्गत नया गांव स्थित पैतृक ठिकानों पर भी कार्रवाई की है. आरोप है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी. उसी मामले में इडी ने यह कार्रवाई की है. बता दें कि सुनील कुमार सिंह की गिनती राजद के कद्दावर नेताओं में होती है और वह लालू परिवार के नजदीकियों में भी गिने जाते हैं.

डिप्टी मेयर भी आ गए लपेटे में

वहीं भागलपुर में चिराग के चहेते डिप्टी मेयर राजेश वर्मा के ठिकानों पर आईटी की टीम छापेमारी के लिए पहुंची है. बताया जा रहा है यह कार्रवाई आज सुबह से ही चल रही है. डिप्टी मेयर राजेश वर्मा सोने चांदी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. आईटी की टीम उनके आवास और सभी दुकानों पर कार्रवाई के लिए पहुंची है. राजेश वर्मा चिराग के काफी करीबी और एलजेपी (रामविलास) के जिलाध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा नाथनगर के सामाजिक नेता विजय यादव के घर पर भी आयकर विभाग एवं ईडी की टीम कार्रवाई के लिए पहुंची है. जांच एजेंसियों की इस छापेमारी से बिहार का सियासी पारा चरम पर है.

क्या है रेलवे भर्ती घोटाला :

दरअसल, रेलवे भर्ती घोटाला भी साल 2004 से 2009 के बीच के समय का है. लालू यादव जब केंद्रीय रेल मंत्री थे तो नौकरी लगवाने के बदले जमीन और प्लॉट लिए गए थे. इस मामले में 18 मई को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआई दर्ज की थी. इसी साल मई 2022 में एक साथ 17 ठिकानों पर छापेमारी भी की गई थी. आरोप है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी.

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