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दो टर्म विधायक व चार बार सांसद रहे बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी की तीन चुनावों में हार

जिस हिना शहाब के पति दो बार विधायक और चार बार सांसद रहे आखिर क्या कारण है कि वो एक बार भी लोकसभा नहीं पहुंच सकीं? हिना शहाब अपने पति शहाबुद्दीन के नाम पर राजनीति कर रही हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.

 

सुशील, आरजेडी की ओर से मीसा भारती और फैयाज अहमद को बिहार से राज्यसभा भेजे जाने के बाद से नाराज बाहुबली नेता दिवंगत शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब क्या राजद छोड़ने वाली है इसको लेकर बिहार के सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गई है. ऐसी आशंका तब जाहिर की जा रही है जब पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूछे एक सवाल के दौरान उन्‍होंने कहा कि वो अभी किसी पार्टी में नहीं हैं.

लालू व तेजस्वी के खिलाफ नारेबाजी

सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना को लेकर पिछले लंबे समय से आरजेडी से अलग-थलग होने की बात कही जा रही थी. हिना शहाब के समर्थकों को पार्टी का उम्मीदवार बनाये जाने की उम्मीद थी. समर्थकों ने जमकर हंगामा भी किया लेकिन आरजेडी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. उम्मीदवारी नहीं मिलने के विरोध में उनके समर्थकों ने धरना देकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के खिलाफ नारेबाजी भी की थी.

गृह राज्य मंत्री बनने पर बवाल

पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन ने 80 के दशक से राजनीति में शुरुआत की थी. पहली बार सीवान के जीरादेई से जेल में बंद रहते हुए 1990 में वे निर्दलीय विधायक बने. इसी क्रम में लालू प्रसाद यादव से मुलाकात हुई और जनता दल के टिकट पर 1995 में फिर वे दूसरी बार भी विधायक चुने गए. इसके बाद वे लगातार चार बार आरजेडी के सांसद और लालू प्रसाद के दाहिने हाथ रहे. एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें गृह राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद मीडिया में शहाबुद्दीन के आपराधिक रिकॉर्ड की खबरें भी छपीं. बीच कहीं उनकी पत्नी हिना शहाब उस समय नहीं दिखीं.

नीतीश के शासन में कसा शिकंजा

बिहार में जब से नीतीश की सरकार आई उस वक्त से शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू हो गया. 2007 से जेल में बंद शहबुद्दीन को हत्या के इरादे से तीन लोगों को अगवा करने का दोषी पाया गया था. इस मामले में शहाबुद्दीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनावों में शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सीवान में शहाबुद्दीन का ही सिक्का चलता था लेकिन लोगों की निगाहें हिना शहाब पर टिकी थी.

लगी रोक तो बीबी को चुनाव में उतारा

2009 में शहाबुद्दीन ने इन चुनावों में अपनी पत्नी हिना शहाब को चुनाव में उतारा लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सकी थीं. उसके बाद 2014 और 2019 में भी हिना को हार मिली. तीन चुनावों में हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. शहाबुद्दीन की मौत के बाद उनके परिवार वालों ने लालू प्रसाद परिवार पर उनसे दूरी बनाने का आरोप भी लगाया था. हीना शहाब और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का दावा है कि तेजस्वी यादव या तेज प्रताप यादव नई दिल्ली में शहाबुद्दीन की कब्र पर श्रद्धांजलि देने नहीं गए थे.

चुनाव नहीं जीतने के ये रहे कारण

दरअसल, सीवान से हिना शहाब का चुनाव नहीं जीतना एक बड़ा फैक्टर है. 2009 में जब हिना चुनाव लड़ीं तो उस समय हिन्दू-मुस्लिम का कार्ड खेला गया. फिर 2014 में मोदी लहर ने हिना शहाब को पराजित कर दिया और फिर 2019 में भी हिंदुस्तान-पाकिस्तान की बात हुई जिसमें हिना को फिर हारना पड़ा. इस बार पति के नाम पर हिना भी चाहती थीं कि राज्यसभा भेजा जाए लेकिन आरजेडी ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद हिना ने अब सीधा कह दिया है कि वो किसी पार्टी में नहीं हैं,

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