जीतन राम के दर्दे दिल की दास्तान, गठबंधन में घुट रहा दम, कुर्सी छोड़ने का मांझी को मलाल
सुशील, पटना : जीतन राम मांझी ने किशनगंज में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा था कि एनडीए में उन्हें घुटन महसूस हो रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद एक साल से भी कम समय में उन्हें सीएम पद छोड़ने का मलाल है. पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के ताजा बयान से बिहार की सियासत में उबाल आ गया है.
समय-समय पर सरकार से डिमांड
जीतन राम मांझी का बयान ऐसे समय आया है, जब राज्य में जातिगत जनगणना की तैयारी है. और पूरी राजनीति उसी की ओर घूम रही है. बिहार सरकार ने 2023 तक जातिगत जनगणना करना का फैसला किया है. जाहिर है इसके बाद राज्य में नए जातिगत समीकरण उभर सकते हैं. जिसका राज्य की राजनीति पर अहम असर दिखाई पड़ सकता है. पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जीतन राम मांझी की नाराजगी इस बात से है कि एनडीए गठबंधन में उनकी सुनी नहीं जा रही है. साथ ही वो समय-समय पर सरकार से अपनी पार्टी के लिए डिमांड करते रहते हैं. चाहे वो बिहार विधान परिषद की सीट हो या फिर कुछ और.
बार्गेनिंग की नहीं रह गई हैसियत
दरअसल जीतन राम मांझी इसके पहले इस बात का दावा करते थे कि कि नीतीश सरकार उनके दम पर ही चल रही है. एनडीए से सहनी का पत्ता कटने के बाद अब उनकी वह हैसियत नहीं रही. उनके पास केवल चार विधायक हैं, अगर चारों विधायकों को हटा भी दिया जाए तो भी नीतीश सरकार के पास दो अतिरिक्त विधायक मौजूद हैं. मांझी ने कहा कि यदि उनके पास अगर दस विधायकों की संख्या होती तो वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हर काम करवा लेते. इसके लिए उन्होंने विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अपनी पार्टी को बीजेपी और जेडीयू से छोटा होने की दुहाई दी थी.
एक साल के अंदर छोड़नी पड़ी कुर्सी
साल 2014 के लोक सभा चुनाव में जनता दल (यू) के खराब प्रदर्शन की नैैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद नीतीश कुमार ने दलित दांव चलते हुए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था. लेकिन एक साल के अंदर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी था, जिसकी टीस वह आज बयां कर रहे हैं. एक साल से भी कम समय में पद छोड़ने का उन्हें मलाल है. उन्होंने कहा है कि आगामी विधान परिषद चुनावों में जब हमारे बड़े सहयोगी हमारा समर्थन मांगेगे तो हम अपनी उपस्थिति महसूस करा सकते हैं.
4 विधायकों से करना चाह रहे मोल-भाव
मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 243 सदस्यीय विधानसभा में चार विधायक हैं. इसके बाद मांझी कभी लालू यादव और कभी एनडीए के साथ अपनी राजनीतिक पारी खेलते रहे हैं और अब जब एमएलसी के चुनाव आ रहे हैं, तो वह अपने 4 विधायकों की ताकत से मोल-भाव करना चाहते हैं. मांझी 2020 में हुए विधान सभा चुनाव के वक्त से एनडीए के सहयोगी हैं. वहीं जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में सीएम नीतीश कुमार ने मांझी के इस दावे पर कि वो एनडीए में घुटन महसूस कर रहे हैं पर कहा कि उनको ऐसा नहीं लगता कि वे एनडीए के हिस्सा हैं.