चिराग ने ठुकराया तेजस्वी का ऑफर, राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन

चिराग पासवान ने तेजस्वी को उस प्रस्ताव को साफ ठुकरा दिया, जिसमें रीना पासवान को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने पर आरजेडी ने समर्थन का भरोसा दिया था. समर्थन के लिए राजद को धन्यवाद देते हुए चिराग ने कहा मेरी मां की राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं है. उनको उम्मीदवार बनाने के बारे में जो आरजेडी के नेताओं ने प्रस्ताव दिया है इसको लेकर मैं नेताओं को धन्यवाद देता हूं.
तेजस्वी के झांसे में नहीं आए चिराग
इस प्रकार चिराग ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे तेजस्वी के झांसे में नहीं आने वाले हैं. इसके पहले लोजपा ने ट्वीट के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी के संस्थापक आदरणीय राम विलास पासवान जी के निधन के बाद से रिक्त पड़ी राज्यसभा की सीट पर चुनाव है. राज्यसभा की यह सीट संस्थापक के लिए थी जब पार्टी के संस्थापक ही नहीं रहे तो यह सीट बीजेपी किसको देती है यह उनका निर्णय है. राज्य सभा सीट पर लोजपा का कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ना चाहता है.
चिराग ने भाजपा के पाले में डाला गेंद
लोजपा के इस फैसले पर राजनीतिक जानकार एक परिपक्व फैसला बताते हुए कहते हैं चिराग ने यह फैसला कर लिया है वे अभी भी पीएम मोदी के हनुमान हैं और साथ ही उन्होंने जेडीयू की नाराजगी को भी भाव दिया है. चिराग ने यह फैसला कर अपने लिए केंद्रीय एनडीए में बने रहने का रास्ता साफ कर दिया. अब गेंद भाजपा के पाले में है कि वह लोजपा के साथ आने वाले समय में क्या सलूक करती है.
तेजस्वी की रणनीति को भांप गए चिराग
अगर लोजपा अपना उम्मीदवार खड़ा करती तो यह परसेप्शन बन जाता कि उन्होंने स्वयं अलग होने का फैसला किया. ऐसे में बीजेपी अपनी जिम्मेदारी से बच जाती और चिराग को राजनीतिक नुकसान होता. रीना पासवान को उम्मीदवार बनाये जाने का राजनीतिक लाभ चिराग से ज्यादा तेजस्वी यादव को मिलता. यहां बीजेपी दलित विरोधी घोषित होती और तेजस्वी हितैषी. उम्मीदवार उतारते भी तो लोजपा की हार तय थी, ऐसे में चिराग ने अपने राजनीतिक भविष्य के अनुकूल फैसला लिया.