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उपेंद्र ने पढ़ाया आरसीपी को नैतिकता का पाठ, मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं

एसपीएन, पटनाः  जेडीयू के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और केंद्र में मंत्री आरसीपी सिंह के इस्तीफे की मांग होने लगी है. कोई और नहीं बल्कि उनकी ही पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इसको लेकर मंगलवार को बयान दिया है. जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. अगर सदस्यता नहीं है तो नैतिकता होनी चाहिए.

नीतीश कुमार के आंख और कान

राज्यसभा का कैंडिडेट नहीं बनाए जाने के बाद आरसीपी सिंह ने सधी प्रतिक्रिया देते हुए इसके लिए सीएम नीतीश कुमार को धन्‍यवाद दिया, हालांकि, आरसीपी ने नौकरशाही के रास्ते से नीतीश कुमार के भरोसे सियासत में एंट्री की थी. आरसीपी और नीतीश कुमार एक ही जिले नालंदा और एक ही जाती कुर्मी समुदाय से आते हैं. ऐसे में दोनों ही नेताओं की दोस्ती गहरी होती गई और आरसीपी देखते ही देखते नीतीश कुमार के आंख और कान बन गए.

मंत्री पद से इस्तीफा दें आरसीपी

आरसीपी के करीबियों पर एक्शन लेकर जेडीयू ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है. ऐसे में जो कोई भी पार्टी लाइन का पालन नहीं करेगा, उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं की जाएगी. इतना ही नहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने जिस तरह से आरसीपी सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही है, उसके पीछे भी जेडीयू के भविष्य के सियासी संदेश हैं.

पार्टी के चार नेताओं पर गिरी गाज

बता दें कि मंगलवार को ही जेडीयू ने पार्टी के चार नेताओं को बर्खास्त किया है. जेडीयू के प्रदेश अध्‍यक्ष उमेश कुशवाहा ने पार्टी के प्रवक्‍ता डॉ. अजय आलोक प्रदेश महासचिव अनिल कुमार, प्रदेश महासचिव विपिन कुमार यादव और समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज को बर्खास्‍त किया है. उमेश कुशवाहा ने कहा कि चारों नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्‍त थे. ऐसे में कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जा रहा था जिसको लेकर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.

सात जुलाई को समाप्त होगा कार्यकाल

आरसीपी सिंह बतौर राज्यसभा सदस्य केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनका कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त हो रहा है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरसीपी सिंह आगे क्या करेंगे या पार्टी में क्या भूमिका होगी अभी तय नहीं है. इधर, उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान के बाद सियासत तेज हो गई है. बता दें कि ये चारों नेता केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में देखा जाए तो ऐसा लग रहा है कि पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि आरसीपी सिंह का साथ देने वालों के लिए यहां जगह नहीं है.

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