बदलेगा कृषि का तौर-तरीका, नैनो लिक्विड यूरिया की छोटी बोतल एक बोरी यूरिया से ज्यादा असरदार, मंत्री ने दिखाई हरी झंडी
एसपीएन, पटना : देश भर के किसानों की जुबां पर चर्चा का विषय बनी बोतल वाली नैनो यूरिया अब जल्द ही बिहार के बाजारों में भी मिलेगा. बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने नए नैनो यूरिया की शुरुआत हरी झंडी दिखाकर की. दावा किया जा रहा है कि नैनो यूरिया फसल उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण में नया कीर्तिमान स्थापित करेगा.
किसानों को दो हजार प्रति एकड़ का मुनाफा
नैनो लिक्विड यूरिया का मूल्याकन भारत सरकार के जैव प्रोद्योगिकी विभाग की ओर से किया जा चुका है. इसका मूल्यांकन फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर1985 की ओर से जारी नैनो एग्री इनपुट के मूल्यांकन के लिए जारी दिशा निर्देशों के अनुसार किया गया है. प्रयोगों से ये तय हुआ कि इफको नैनो लिक्विड यूरिया फसल, किसान और पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. विभिन्न प्रयोगों से ये भी साबित हुआ है कि नैनो यूरिया के प्रयोग से किसानों को 2000 रुपये प्रति एकड़ का अतिरिक्त मुनाफा होगा. इसका उपयोग अनाज, दलहन, तेलहन, सब्जियों, फलों, घास जैसी सभी प्रकार के फसलों में किया जा सकता है. जहां तक कीमत की बात है कि तो 500 एमएल के पैक की कीमत 240 रुपये है.
आधा लीटर यूरिया की बोतल के दाम 240 रुपये
नैनो लिक्विड यूरिया 500 एमएल, 200 एमएल के छोटी- छोटी प्लास्टिक की बोतलों में बेची जाएगी. दावा किया जा रहा है कि छोटी सी एक बोतल 45 किलो की एक बोरी यूरिया से भी ज्यादा असरदार है. इस बोतल में यूरिया ही है लेकिन अत्यंत सूक्ष्म रूप में. जिसे पौधों की जड़ में नहीं, बल्कि पत्तियों पर छिड़काव करना होता है. विशेष तरह की यूरिया बनाने वाली कंपनी है इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड . वर्तमान में दाने के रूप वाली यूरिया की 50 किलोग्राम वजन की एक बोरी की कीमत 266.50 रुपये है. तरल यूरिया न केवल असरकारक बल्कि कीमत भी कम है. आधा लीटर यूरिया की बोतल के दाम 240 रुपये हैं.
बेहतर उत्पादन के साथ पर्यावरण का संरक्षण
जल्द ही नैनो यूरिया सहकारी समितियां, कृषक सेवा केंद्र, यूपी एग्रो और इफको कंपनी के बिक्री केंद्रों पर मिलने लगेगी. यूरिया और डीएपी की तरह नैनो यूरिया खरीदने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है. किसान जिस यूरिया का प्रयोग करते हैें,वह पानी में घुलकर भूमि के अंदर समा जाती है और कुछ हिस्सा वाष्प बनकर वायुमंडल में घुल जाती है. इससे भूमि और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है. नैनो तकनीक से तैयार की गई तरल यूरिया का प्रयोग इस नुकसान से बचाएगा. इसका प्रयोग किए जाने से रासायनिक उर्वरक की खपत में कमी आएगी. इससे न सिर्फ फसल का बेहतर उत्पादन होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा.
पौधों पर ऐसे काम करता है नैनो यूरिया
पौधे यूरिया के दानों का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाते हैं, जिससे इनका ज्यादातर हिस्सा बर्बाद हो जाता है. ये मिट्टी, जल और वायु को प्रदूषित करते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. नैनो यूरिया, यूरिया के दानों की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म है, लेकिन अत्यंत प्रभावशाली हैं. इसका छिड़काव पत्तियों पर किया जाता है. जो पत्तियों में मौजूद स्टोमैटा में आंतरिक क्रिया द्वारा पौधों में जरूरी प्रोटीन, अमिनो एसिड के रूप में ग्रहण कर लिया जाता है. और धीरे-धीरे पौधों की जरूरत के अनुसार उपलब्ध होता है. बेहतर परिणाम के लिए इसका पहला छिड़काव पौधों के बढ़ने के समय और दूसरा छिड़काव पौधों में फूल आने के समय किया जाना चाहिए.