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ओढ़ ली चिराग ने नीतीश के नाम चुप्पी की चदरिया

सुशील, पटना। विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार पर तल्ख रहे चिराग पासवान ने आखिर चुप्पी क्यों साध ली यह आजकल राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग अचानक चिराग पासवान की चुप्पी की वजहें खोज रहे हैं तो विरोधी यह भी कह रहे हैं ये चिराग बुझ रहा है. पार्टी के खराब प्रदर्शन, नीतीश के सीएम बन जाने और राज्यसभा की सीट चले जाने के बाद चिराग ने चुप्पी की चादर ओढ़ ली है.

कार्यकर्ताओं को दिया चुप रहने का निर्देश

चुनाव में सबसे अधिक सुर्खियों में कोई बात रही तो वह लोजपा का एनडीए से अलग चुनाव लड़ना और एलजेपी प्रमुख चिराग़ पासवान का सीएम नीतीश कुमार को लेकर तल्ख तेवर. खबर यह भी है कि चिराग ने पार्टी के नेताओं को सख्त निर्देश दिया है कि वे नीतीश सरकार पर हमला न बोले. राजनीतिक पंडित अब इसके अपने अपने हिसाब से मायने निकाल रहे हैं.

एनडीए से बाहर करने पर आमदा जदयू

पार्टी के इस फैसले को लेकर इसकी रणनीति के पीछे की वजह कुछ भी हो फिलहाल चिराग को नीतीश की बजाय अपनी पार्टी को बचाए रखना और एनडीए में बने रहना है. इधर प्रदेश महासचिव केशव सिंह ने चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उधर जदयू के कुछ वरिष्ठ नेता उन्हें एनडीए से ही बाहर करने पर आमदा हैं. केसी त्यागी तो यहां तक कह चुके हैं तेजस्वी को जिताने में चिराग का सीधा हाथ है.

हनुमान को अपने राम  पर है पूरा भरोसा

एक तरफ चिराग को लेकर भाजपा पत्ते नहीं खोल रही है तो दूसरी तरफ चिराग अभी भी अपने आपको मोदी जी का भक्त बता रहे हैं. महागठबंधन बिहार में लॉ एंड ऑर्डर पर लगातार हमले बोल रहा है तो चिराग खामोशी है. वहीं राजनीतिक गलियारे में भक्त की चुप्पी कई अर्थ लगाए जा रहे हैं. कहा तो यह जाता है हनुमान की नजर राम दरवार में बंटने वाले उस प्रसाद पर है, जो मंत्रिमंडल के विस्तार में बंटने वाला है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में ओहदा चाह रहे चिराग

राज्यसभा की सीट जाने के बाद चिराग केंद्रीय मंडल में एक जगह चाहते हैं, जिसके लिए नीतीश की भी सहमति जरुरी है. यही डर उन्हें सता रहा है अगर नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला तो कहीं हाथ से मौका छूट न जाय. नीतीश से लाल बत्ती मिलेगी नहीं अब मोदी ही एक सहारा है. शायद यही सोचकर चिराग ने अभी रक्षात्मक मुद्रा अपना ली है.

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