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सूर्खियों में हैं पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, सत्ता का तामझाम छोड़ कर ओढ़ लिया सन्यास का चोला

एसपीएन, पटना: वीआरएस लेकर डीजीपी के पद से इस्तीफा देने के बाद जेडीयू की सदस्यता लेने वाले गुप्तेश्वर पांडेय एक बार फिर चर्चा में हैं. सत्ता का तामझाम छोड़ उन्होंने सन्यास का चोला ओढ़ लिया और वे एक कथा वाचक बन गए हैं. गुप्तेश्वर पांडेय ने एक बैनर के माध्यम से श्रीमद भागवत वचन अमृत की जानकारी साझा की. उस बैनर में जहां एक तरफ राधा कृष्ण की तस्वीर लगाई गई है, वहीं दूसरी तरफ गुप्तेश्वर पांडेय की तस्वीर लगी है.

कम्युनिटी पुलिसिंग के पैरोकार

1987 बैच के आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय बिहार में अलग-अलग पदों पर उसके 26 जिलों में काम कर चुके हैं. उनका जन्म बक्सर ज़िले के एक छोटे से गांव गेरूआ में हुआ था. पुलिस में रहते हुए कई जिलों में उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग के ज़रिए प्रयोग किए. ख़ासतौर पर बेगूसराय और जहानाबाद ज़िले में उनकी पोस्टिंग चर्चा में रही. उस वक़्त बेगूसराय बहुत संवेदनशील जिला था और सात से आठ महीनों में 42 अपराधियों के एनकांउटर किए. लेकिन, गुप्तेश्वर पांडेय सबसे ज़्यादा विवादित रहे 2012 में मुज़फ़्फ़रपुर की 13 साल की बच्ची नवरुणा हत्याकांड के मामले में.

सोशल मीडिया के चुलबुल पांडेय

गुप्तेश्वर पांडेय सोशल मीडिया पर चुलबुल पांडेय के तौर पर गुप्तेश्वर पांडेय मशहूर हैं. माना जाता है कि वे रॉबिन हुड की छवि को बेहद पसंद करते हैं. हाल में ही दीपक ठाकुर का उनपर बनाया गाना ‘ राबिन हुड बिहार के’ भी काफी चर्चा में रहा था. इस गाने के बोल थे- माफ़िया अपराधी मांगे दुआ, हिल जाए इलाक़ा इनकी एक दहाड़ से. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले उन्होंने अपनी छवि बनाने के लिए ऐसा किया था, लेकिन टिकट नहीं मिला तो चुनाव ही नहीं लड़ पाए. अब वह एक बार फिर कथावाचक बनकर सुर्खियों में हैं.

सुशांत की सीबीआई जांच करवाने में अहम भूमिका

बीते वर्ष अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में, रिया की ‘औक़ात’ वाले बयान देने और एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार को लेकर चर्चा में रहे थे. इसी दौरान उन्होंने मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए थे और तब मीडिया की सुर्खियों में रहे थे. इसके बाद उन्होंने ही सुशांत सिंह मामले की सीबीआई जांच करवाने में अहम भूमिका निभाई थी. 2009 में भी उन्होंने बीजेपी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस के लिए आवेदन दिया था. लेकिन उन्हें बक्सर से बीजेपी की टिकट नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया.

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