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नजर लागी चिराग तेरे बंगले पर, एक झटके में हुआ खाली

बात चिराग पासवान के बंगले की हो रही है, जिसे नीतीश ने एक झटके में खाली करा लिया. नीतीश की नजर अब चिराग के असली वाले बंगले पर है जो उनका चुनाव चिन्ह है.

सुशील, पटना । सियासी पिच पर कम ही ऐसे नेता हैं जो बिना बल्ला भांजे ऐसे चौके और छक्के लगाते हैं कि देखने वाले हैरान रह जाते हैं. नीतीश कुमार भी एक ऐसे ही नेता हैं जो बोलते कम करते ज्यादा हैं. चाहे तेजस्वी यादव हो या एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला कि एक का लेंथ बिगाड़ दिया तो दूसरे की लाइन ही छोटी कर दी. बात चिराग पासवान के बंगले की हो रही है, जिसे नीतीश ने एक झटके में खाली करा लिया. नीतीश की नजर अब चिराग के असली वाले बंगले पर है जो उनका चुनाव चिन्ह है.

कार्यकर्ता दे रहे हैं जेल भेजने की धमकी

हालात यह है कि चिराग पासवान के लिए अब पार्टी का चुनाव चिह्न और बंगला बचाने की चुनौती है. पार्टी में बगावत के सुर शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं और नेता लगातार पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. जदयू में आने के बाद केशव सिंह ने यहां तक कह दिया मैं जल्द ही कच्चा चिट्ठा खोलूंगा और जल्द ही वे जेल में नजर आएंगे. बागी नेताओं का आरोप है कि चिराग ने झूठ का सहारा लेकर 94 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ ठगी की ऐसे लोगों को टिकट दिए गए, जिन्होंने पार्टी के लिए कभी सदस्यता अभियान नहीं चलाया.

जेडीयू से छिन गया बड़े भाई का तमगा

विहार विधान सभा चुनाव में चिराग पासवान ने जिस तरह की पॉलिटिक्स की, उससे जेडीयू से बड़े भाई का तमगा छिन गया. नीतीश कुमार का पहले वाला रुतबा नहीं रहा. सियासत में नीतीश ने ये दिन शायद ही कभी देखा होगा. लेकिन इतना सब कुछ होते हुए भी चुप रहे. पहले गद्दी संभाली उसके बाद मौका मिलते ही तरकश से एक कर तीर छोड़ने लगे. सबसे पहले रामविलास की खाली सीट को सुशील मोदी से भर कर चिराग को यह संकेत दे दिया कि वे राजनीति में नीतीश के सामने बच्चे हैं.

चिराग का खाली करा दिया बंगला

संगठन को मजबूत करने के लिए खुद अध्यक्ष पद छोड़कर आरसीपी को पार्टी को कमान दी, जो रणनीति बनाने में माहिर हैं. आरसीपी का पहला तीर लोजपा के एकमात्र विधायक राज कुमार सिंह पर चला. उसके बाद भाजपा ने इकलौते विधान पार्षद नूतन सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कराकर चिराग के पैरों तले जमीन खिसका दी. हनुमान की पूरी सेना को नीतीश ने तीर थमा कर सियासी पिच पर उन्हें एकदम अकेला कर दिया.  फिलहाल पासवान फैमिली के अलावा पार्टी में कोई दिख नहीं रहा.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शायद ही मिले जगह

चिराग एलजेपी के प्रदेश कार्य समिति, प्रकोष्ठ और जिला इकाईयों को भंग करने के बाद प्रदेश एलजेपी की नई टीम खड़ी करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं. केशव सिंह कहते हैं चिराग की अपनी महत्वाकांक्षा ने ही एलजेपी की नैया डुबाेई. अभी कई बड़े नेता, पूर्व विधायक और सांसद जेडीयू तथा भाजपा के संपर्क में हैं. नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार होने पर उसमें एलजेपी को शायद ही जगह मिले, क्योंकि इस मामले में जेडीयू ने कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है. एनडीए में चिराग की कद्र कम हुई है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है, जिसका प्लॉट खुद चिराग ने तैयार किया था.

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