सृजन घोटाला मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई अटैच की सवा चार करोड़ रुपए की संपत्ति
एसपीएन, दिल्ली, पटना : बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने लगभग सवा चार करोड़ रुपए की चल अचल संपत्ति अटैच की है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय का यह दूसरा अटैचमेंट है. सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी और आइएएस समेत अनेक अधिकारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट के सामने पेश किए थे. बाद में इस मामले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने भी शुरू कर दी थी.
2008 से 2014 के बीच ट्रांसफर हुए रुपए
यह घोटाला तब प्रकाश में आया था जब बिहार के एक आईएएस अधिकारी ने एक सरकारी चेक बैंक में डाला तो पता चला कि बैंक में पैसे ही नहीं है.जांच के दौरान पता चला कि सारा सरकारी पैसा धोखाधड़ी के जरिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड में ट्रांसफर कर दिया गया है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि घोटाले बाजों ने साल 2008 से 2014 के बीच 550 करोड रुपए सरकारी खाते से निकालकर सृजन खाते में डाल दिए थे. साथ ही इसी संस्था के अकाउंट से सरकारी पैसों की बंदरबांट भी कर ली गई थी.
भागलपुर,देवघर,सीतामढ़ी और दिल्ली में संपत्ति कुर्क
ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने भागलपुर, पटना और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित 3.09 करोड़ रुपये के 12 फ्लैट, भागलपुर, देवघर और सीतामढ़ी में 87 लाख रुपये के पांच प्लॉट, 11.87 लाख रुपये की एक महिंद्रा स्कॉर्पियो कार और बैंक खातों में जमा 1.2 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क की है. ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. सृजन घोटाले में आरोप है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड भागलपुर के बैंक खाते से अवैध तरीके से करोड़ों रुपए दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर किए गए.
2020 में 14 करोड से ज्यादा की संपत्ति अटैच
सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड वास्तव में सरकारी फंड को अधिकारियों के साथ मिलकर गबन करने का तरीका बना लिया गया. एक बार सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के अकाउंट में फंड ट्रांसफर होने के बाद यह अलग-अलग लोगों और संस्थाओं के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया. सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव मनोरमा देवी थी और वही इस घोटाले की मुख्य आरोपी थी. सोसाइटी की महासचिव और मनोरमा देवी की मौत साल 2017 में हो गई थी. ईडी ने इसके पहले साल 2020 में 14 करोड से ज्यादा का अटैचमेंट किया था जिसकी मामले की जांच की जा रही है.
व्यवसायी, सरकारी अधिकारी और नेता भी हैं शामिल
अधिकारी ने कहा कि मनोरमा देवी 13 फरवरी, 2017 को अपनी मृत्यु तक समाज एसएमवीएसएसएल लिमिटेड की सचिव थीं. वह मुख्य आरोपी थीं, जो सरकारी अधिकारियों, बैंक अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से सरकारी धन के दुरुपयोग में सक्रिय रूप से शामिल थीं. अधिकारी ने बताया कि सृजन घोटाला मामले में यह दूसरी कुर्की है. ईडी ने इससे पहले पिछले साल 29 मई को 14.32 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी, जिसमें व्यवसायी, सरकारी अधिकारियों और अन्य निजी व्यक्ति के फ्लैट, जमीन कुर्क की गई थी.