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मुलाकात के बाद कुशवाहा के दिल की बात हो गई

लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में पिटने के बाद कुशवाहा समझ गए बिहार में जमात के साथ जात की राजनीति से ही उनका अस्तित्व रह सकता है.

 


सुशील, पटना। कभी नीतीश के खास, फिर रालोसपा सुप्रीमो, मोदी सरकार में मंत्री, महागठबंधन के चाणक्य उसके बाद अलग होकर ओवैसी, मायावती के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा पराजय के बाद उपेंद्र कुशवाहा क्या एनडीए के साथ नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले है. ऐसी अटकलें सियासी गलियारों में रालोसपा प्रमुख की मुख्यमंत्री नीतीश  के साथ मुलाकात के बाद होने लगी है.

फिर से बन सकता है लव कुश समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त नीतीश कुमार पर हमलावर होने वाले तमाम विरोधी दलों के नेताओं के साथ रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी थे. पर अब उनका रुख बदला हुआ है. उपेंद्र कुशवाहा से जब पूछा गया कि क्या भविष्य में लव-कुश समीकरण फिर से बन सकता है? क्या वे नीतीश कुमार के साथ आ सकते हैं? तब उन्होंने कहा, कल क्या होगा, किसने जाना है.

विधान परिषद की सीट पर कुशवाहा की नजर

राज्य में लोकसभा, विधानसभा व राज्यसभा की सभी सीटें भर गयी हैं, सिर्फ विधान परिषद की 18 सीटें खाली हैं, जिनमें 12 मनोनयन कोटे की और दो विधानसभा कोटे की सीटें हैं. विधान परिषद की मनोनयन कोटे की दर्जन भर सीटों को भरे जाने को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. इसी परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री से उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात को जोड़ कर देखा जा रहा है.

सीएम का बने चेहरा, नहीं मिली एक भी सीट

अपने गठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरा बने उपेंद्र बसपा और एआइएमआइएम के साथ गठबंधन कर एक भी सीट नहीं ला पाएं, जबकि बसपा ने अपना खाता खोल लिया और ओवैसी ने पांच सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की. लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में पिटने के बाद कुशवाहा समझ गए बिहार में जमात के साथ जात की राजनीति से ही उनका अस्तित्व रह सकता है. नीतीश से नजदीकी का उनका यही कारण है.

नीतीश के लिए तेजस्वी को कहा छि: छि:

नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनते ही उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के पक्ष में खुल कर उतर गए हैं. सदन में तेजस्वी की टिप्पनी की  उपेंद्र कुशवाहा छि: छि: कह कर भर्त्सना की थी और कहा था नीतीश कुमार मेरे बड़े भाई हैं, अगर उन पर इस तरह से कोई बोलेगा तो उपेंद्र कुशवाहा चुप नहीं बैठेगा. तेजस्वी का यह बयान बर्दाश्त करने लायक नहीं है.

कुशवाहा मतदाताओं के बीच बनाना चाहता है पैठ

चुनाव में जदयू को 2015 के चुनाव के मुकाबले 28 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. शाहाबाद के इलाके में, जहां कुशवाहा और सीमांचल के इलाके में जदयू पीछे रहा. जदयू नये सिरे से वोट के लिहाज से मजबूत रहे कुशवाहा मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाना चाहता है. कुशवाहा को जदयू ने विधायक, विपक्ष का नेता व  राज्यसभा का सदस्य बनाया. ऐसे में उसके लिए उपेंद्र कुशवाहा एक मजबूत स्तंभ हो सकते हैं.

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