बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े का आरोप, राज्य सभा में उठाया मामला
एसपीएन, पटना। बिहार सरकार पर कोरोना काल में फर्जी नाम और नम्बर दर्ज कर कोविड टेस्ट की संख्या बढ़ाने का आरोप लगा है. बिहार में कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाने के लिए किए गए कथित फर्जीवाड़े का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठाया गया. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है.
सभापति ने किया जांच कराने का आग्रह
वहीं, उनकी मांग को उचित मानते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर कह कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है. दरसअल, इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की है. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है.
आरजेडी नेता मनोज झा ने उठाया मामला
शून्यकाल में आरजेडी नेता मनोज झा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दो-तीन दिनों से बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में आंकड़ों में कथित गड़बड़ी होने की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा ‘‘ये खबरें चिंताजनक हैं. इनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी डाटा एंट्री की गई हैं. मनोज झा ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.
तेजस्वी ने भी सीएम पर लगाया था आरोप
इस मामले में कल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सीएम नीतीश पर निशाना साधा था. उन्होंने सीएम नीतीश पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव के साथ मिलकर कोरोना जांच की संख्या को फर्जीवाड़ा कर बढ़ाने का आरोप लगाया था. तेजस्वी ने कहा जब हमने घोटाले का डेटा सार्वजनिक किया था, तो सीएम ने हमेशा की तरह उसे नकार दिया था.
टेस्ट के नाम पर हुआ अरबों का हेर-फेर
विपक्ष का अरोप है मुख्यमंत्री ने आंकड़े नहीं बदलने पर तीन स्वास्थ्य सचिवों का तबादला कर एंटीजेन का वो “अमृत” मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकड़ा 10 हज़ार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया. तेजस्वी ने कहा कोरोना टेस्ट ही नहीं हुए. फर्जी टेस्ट दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों का भारी बंदरबांट किया है.