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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया ये बड़ा बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर बात करते हुए कहा, "यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसमें कीमतें कम करने के अलावा कोई भी जवाब किसी को संतुष्ट नहीं कर सकता। केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के लिए उचित स्तर पर खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए बात करनी चाहिए।"

नई दिल्ली: देश में ईंधन की कीमतें लगभग दो सप्ताह से बढ़ रही हैं और आम आदमी पर महंगाई की मार बढ़ती ही जा रही है। भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतें शनिवार (20 फरवरी) को सीधे 12वें दिन बढ़ गईं। दिल्ली में पहली बार पेट्रोल की कीमत 90 रुपये के पार जबकि डीजल की कीमत 80 रुपये के पार पहुंच गई। आज भी दोनों ईंधन क्रमशः 38 पैसे और 37 पैसे बढ़े।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर बात करते हुए कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसमें कीमतें कम करने के अलावा कोई भी जवाब किसी को संतुष्ट नहीं कर सकता। केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के लिए उचित स्तर पर खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए बात करनी चाहिए।”

चेन्नई में वित्त मंत्री ने कहा, ”OPEC देशों ने उत्पादन का जो अनुमान लगाया था वह भी नीचे आने की संभावना है जो फिर से चिंता बढ़ा रहा है। तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं , रिफाइन करती हैं और बेचती हैं।”

पेट्रोल के दामों ने कई शहरों में 100 रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण देश के कई अन्य शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर के करीब है। आज की कीमत के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 90.58 रुपये प्रति लीटर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जबकि डीजल की कीमत 80.97 रुपये प्रति लीटर हो गई।

इस बीच अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने केंद्रीय टैक्‍स को कम करके डीजल की कीमतों में तत्काल कमी लाने का आह्वान किया। उन्‍होंने केंद्र सरकार को राज्यों को मूल्यवर्धित कर में कटौती करने और देश भर में डीजल की कीमतों में एकरूपता लाने के लिए एक सलाह जारी करनी की बात कही।

उन्होंने 16 फरवरी से अपनी मांगों को लागू करने के लिए केंद्र को 14 दिनों का नोटिस दिया है। अगर मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो हमारे पास देश भर में सड़क परिवहन सेवाओं को बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।

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