नीतीश के गुड गर्वनेंस पर चला हाईकोर्ट का हथौड़ा, सरकार जारी करें मौतों का आंकड़ा
एसपीएन, पटना। बिहार में हांलांकि मौतों के सिलसिले में भी काफी गिरावट आई है. हालांकि मौत के सही आंकड़े सार्वजनिक किए जाने को लेकर राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी क्रम में पटना हाईकोर्ट ने कोरोना काल के दौरान हुई मृत्यु के आंकड़े आम जनता को उपलब्ध नहीं कराने पर राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा है कि जन्म-मृत्यु से संबंधित आंकड़ों के बारे में जानना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. अब सरकार के ऊपर पटना हाईकोर्ट ने सरकार के गुड गवर्नेंस पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
उचित नहीं है सरकार का अड़ियल रुख
हाईकोर्ट ने शिवानी कौशिक समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार को कहा है कि कोरोना से हुई मौतों के बारे में सही जानकारी नहीं देना सरकार का अड़ियल रुख उचित नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यह ना तो कानूनन सही है और ना ही यह गुड गवर्नेंस की कसौटी पर खरा उतरता है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पारदर्शिता ही गुड गवर्नेंस की कसौटी है. सरकार को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह बताना चाहिए कि राज्य में कोरोना से कितनी मौतें हुई. राज्य की जनता को यह जानने का कानूनी अधिकार है.
हाईकोर्ट ने खारिज की सरकार की दलील
हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा बार-बार कहने के बावजूद सरकार जन्म मृत्यु के तमाम पोर्टल पर अपडेट कर उसे जनता के सामने खोलने में आनाकानी कर रही है. हाईकोर्ट ने सरकार की उस दलील को भी खारिज किया कि यह पोर्टल आम पब्लिक के लिए नहीं खोले जा सकते क्योंकि वह भारत सरकार के अधीन होते हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि बिहार में रह रहे लोगों की पहुंच राज्य के जन्म मृत्यु से जुड़े तमाम जानकारियां डिजिटल पोर्टल पर समय अपडेट होते रहे. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जन्म-मृत्यु से जुड़े सभी आंकड़े डिजिटल पोर्टल के जरिए नागरिकों को उपलब्ध हो सकें.
डिजिटल पोर्टल को नियमित करें अपडेट
र्ट ने स्पष्ट किया कि जन्म और मृत्यु के निबंधन एक्ट, 1969 के तहत हर नागरिक को डिजिटल पोर्टल का सूचना पाने का अधिकार है. इन डिजिटल पोर्टल को नियमित और समय समय अपडेट किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट तौर पर कहा है कि सभी पोर्टल पर पिछले एक साल से कोरोना से मौतों की सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाए. कोर्ट ने सरकार की उदासीनता के पीछे की वजह भी जानी चाही है. कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि कोबिड-19 के दौरान हुए सभी प्रकार मृत्यु का विवरण रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.