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जल्द ही नोटों पर दिख सकती हैं रवीन्द्रनाथ टैगोर और अब्दुल कलाम की फोटो

आरबीआई और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मीटिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) ने आईआईटी-दिल्ली के एमेरिटस प्रोफेसर दिलीप टी शाहनी को गांधी, टैगोर और कलाम वॉटरमार्क के नमूनों के दो अलग-अलग सेट भेजे हैं।

देश की करेंसी अब जल्द ही रवींद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम की फोटो दिख सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय इसके बदलाव पर विचार कर रहा है और निर्णय लेने वाला है.

अब नए नोटों में ऐसे लोगों की तस्वीरें हो सकती हैं जो भारतीय मुद्रा पर पहले कभी नहीं देखी गई थीं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये जल्द ही बदल सकती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कथित तौर पर कुछ बैंक नोटों की एक नई सीरीज पर रवींद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम के वॉटरमार्क का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं.

दरअसल, करेंसी नोटों पर कई फिगर्स के वॉटरमार्क को शामिल करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.

बता दें, ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई देश ऐसा करने पर विचार कर रहा है. अमेरिका के करेंसी को अगर देखेंगे तो पाएंगे कि अलग-अलग मूल्य के डॉलर में कुछ फॉउन्डिंग फादर्स जैसे जॉर्ज वाशिंगटन, बेंजामिन फ्रैंकलिन, थॉमस जेफरसन, एंड्रयू जैक्सन, अलेक्जेंडर हैमिल्टन और अब्राहम लिंकन सहित कुछ 19 वीं सदी के राष्ट्रपतियों के चित्र हैं.

कितना हो चुका है काम?

इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL), जो कि वित्त मंत्रालय के अधीन है, ने आईआईटी-दिल्ली एमेरिटस प्रोफेसर दिलीप टी शाहनी को गांधी, टैगोर और कलाम वॉटरमार्क के सैंपल के दो अलग-अलग सेट भेजे हैं. साहनी को दो सेटों में से चुनने और उन्हें सरकार द्वारा अंतिम विचार के लिए पेश करने के लिए कहा गया है.

बताते चलें, वॉटरमार्क की जांच कर रहे प्रोफेसर शाहनी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंस्ट्रुमेंटेशन में माहिर हैं. उन्हें 2022 में जनवरी में सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.

2017 में की गई थी कोलकाता हाई कोर्ट में PIL

गौरतलब है कि साल 2017 में, कोलकाता हाई कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आठ हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था कि देश में मुद्रा नोटों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की तस्वीरें क्यों नहीं हो सकती हैं. इसे लेकर कोलकाता के ही निवासी पृथ्वी दासगुप्ता ने एक जनहित याचिका दायर की थी.

जनहित याचिका में दासगुप्ता ने कहा था, “हालांकि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सफल परिणति के लिए काफी श्रेय जाती है, लेकिन नेताजी का योगदान भी कम नहीं है. ये कहते हुए याचिकाकर्ता ने अपने दावे के समर्थन में कई दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए थे. जिसके बाद से ही ये मुद्दा खबरों में बने हुए है.

आईआईटी प्रोफेसर दिलीप शाहनी को भेजे गए नमूने

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय और आरबीआई के तहत आने वाले सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरोपरेशन ऑफ इंडिया की ओर से गांधी, टैगोर और कलाम के वाटरमार्क वाली तस्वीरों के नमूनों के दो अलग-अलग सेट आईआईटी दिल्ली एमेरिटस प्रोफेसर दिलीप टी शाहनी को भेज दिए गए हैं. प्रोफेसर शाहनी को दो सेटों में से एक सेट चुनकर सरकार के समक्ष पेश करने के लिए कहा गया है. कहा जा रहा है कि इसका अंतिम निर्णय उच्चतम स्तर की होने वाली बैठक में लिया जाएगा.

अब तक क्या हुई है प्रोग्रेस

सूत्रों के अनुसार आरबीआई और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मीटिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) ने आईआईटी-दिल्ली के एमेरिटस प्रोफेसर दिलीप टी शाहनी को गांधी, टैगोर और कलाम वॉटरमार्क के नमूनों के दो अलग-अलग सेट भेजे हैं। साहनी को दो सेटों में से चुनने और उन्हें सरकार द्वारा अंतिम विचार के लिए पेश करने के लिए कहा गया है। वॉटरमार्क की जांच करने वाले प्रोफेसर शाहनी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंस्ट्रुमेंटेशन में माहिर हैं। उन्हें इस साल जनवरी में मोदी सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

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